Aditya L1 Mission Launch : आकाश में उड़ा भारत का पहला सूर्य मिशन, 15 लाख किमी दूरी पर होगा स्थापित
भारत ने अपना महत्वाकांक्षी पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च कर दिया है। इसे शनिवार, 2 सितंबर को रात 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। आदित्य एल1 प्लाज्मा तापमान सहित सूर्य के कोरोना के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करेगा।
1480 किलोग्राम वजनी आदित्य-एल1 को इसरो के बाहुबली रॉकेट पीएसएलवी की मदद से लॉन्च किया गया। यह पीएसएलवी का 59वां प्रक्षेपण है। इस रॉकेट की सफलता दर 99 प्रतिशत है।
आदित्य-एल1 ले जाने वाला रॉकेट अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित करेगा। प्रक्षेपण से लेकर आदित्य-एल1 को रॉकेट से अलग करने की प्रक्रिया में एक घंटे से अधिक (लगभग 63 मिनट) का समय लगेगा। इसके बाद अगले 16 दिनों तक (18 सितंबर तक) आदित्य-एल1 पृथ्वी की परिक्रमा करता रहेगा।
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches India's first solar mission, #AdityaL1 from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, Andhra Pradesh.
— ANI (@ANI) September 2, 2023
Aditya L1 is carrying seven different payloads to have a detailed study of the Sun. pic.twitter.com/Eo5bzQi5SO
इसके बाद आदित्य-एल1 को पृथ्वी की कक्षा से बाहर भेजा जाएगा, जहां से यह पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 बिंदु की ओर बढ़ेगा। यह पृथ्वी से सूर्य की कुल दूरी का 1 प्रतिशत है। L1 बिंदु वह बिंदु है जहां सूर्य और पृथ्वी एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण बल को रद्द कर देते हैं।
जो कुछ भी लैग्रेंज बिंदु तक पहुंचता है वह हमेशा के लिए वहीं रहता है। पृथ्वी और सूर्य के बीच ऐसे पांच लैग्रेंज बिंदु हैं। इनमें से आदित्य-एल1 को लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर स्थापित किया जा सकता है। इसकी एक खास बात यह है कि यहां से सूर्य को बिना किसी बाधा के देखा जा सकेगा और पृथ्वी से संपर्क में भी कोई बाधा नहीं आएगी।
आदित्य एल1 में सात पेलोड हैं, जिसमें प्राथमिक पेलोड विज़िबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है, जो वांछित कक्षा में पहुंचने के बाद विश्लेषण के लिए प्रति दिन 1,440 छवियां ग्राउंड स्टेशन पर भेजेगा।
बता दें कि, इसरो का आदित्य L1 पहला सूर्य मिशन है, जो L1 प्वाइंट तक जाएगा। पृथ्वी से इस जगह की दूरी 15 लाख किलोमीटर है। आदित्य एल 1 सूर्य की किरणों का अध्ययन करेगा और यहां 5 साल 2 महीने तक रहेगा। इस काम में 378 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। गौरतलब है कि, सूरज पृथ्वी के सबसे नजदीक का स्टार है। अन्य स्टार के मुकाबले सूरज की स्टडी संभव है। इस मिशन के बाद आकाशगंगा के बाकी तारों की स्टडी हो सकेगी और दूसरी गैलेक्सी के स्टार्स की जानकारी संभव है। सूरज की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है और इसका तापमान 10 से 20 लाख डिग्री सेल्सियस है। इसकी उम्र 4.5 अरब साल है।