Delhi Ordinance Bill : दिल्ली अध्यादेश बिल लोकसभा में पारित, वोटिंग के दौरान पर्चे फाड़े विपक्ष
दिल्ली अध्यादेश बिल लोकसभा में पारित । लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चली चर्चा के बाद इसे गुरुवार पारित कर दिया गया है। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा ।
केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार (1 अगस्त) को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया था । इसमें उपराज्यपाल को दिल्ली के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना पर अंतिम अधिकार प्रदान करने का प्रावधान है । वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को कहा था कि दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है । इसको पलटते हुए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था । इस अध्यादेश की जगह ही विधेयक ले रहा है ।
लोकसभा में बिल पर चर्चा का जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिया । वहीं इस दौरान कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके सहित अन्य विपक्षी दलों ने बिल का कड़ा विरोध किया । बता दे कि दिल्ली अध्यादेश बिल के पारित होने के बाद विपक्ष ने संसद से वॉकआउट किया जिसके बाद संसद कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। दरअसल संसद में हो रहे हंगामे के बीच आप सांसद रिंकू सिंह ने कागज फाड़कर चेयर की तरफ फेंका था। संसदीय कार्यमंत्री ने इस बाबत कहा कि सुशील कुमार रिंकू को निलंबित कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने चेयर का अपमान किया है। इसके बाद सभापति ने सुशील कुमार सिंह रिंकू को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
अमित शाह ने विधेयक के पक्ष में तर्क देते हुए सदन में कहा, ”अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली को लेकर किसी भी मुद्दे पर सरकार को कानून बनाने का अधिकाऱ है । ” उन्होंने बताया कि संविधान में भी हमें ये अधिकार दिया गया । अमित शाह ने आगे कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद और डॉ. बी.आर. अंबेडकर भी दिल्ली को राज्य का दर्जा दिए जाने के विरोध में थे । उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन को दिल्ली की नहीं सिर्फ अलायंस की चिंता है । ये विधेयक का विरोध राजनीति के लिए कर रहे हैं ।
अमित शाह ने चर्चा के दौरान कहा कि 2015 में एक पार्टी (AAP) सत्ता में आई. इनका लक्ष्य दिल्ली की सेवा करना नहीं बल्कि लड़ाई करना था । ये अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार नहीं चाहते बल्कि सतर्कता विभाग पर कंट्रोल चाहते हैं । विपक्ष की प्राथमिकता अपने गठबंधन को बचाना है । विपक्ष को मणिपुर की चिंता नहीं ह । हर कोई एक राज्य के अधिकारों के बारे में बात कर रहा है, लेकिन कौन सा राज्य? दिल्ली एक राज्य नहीं बल्कि एक केंद्र शासित प्रदेश है ।
लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल पास होने पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हर बार बीजेपी ने वादा किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। 2014 में नरेंद्र मोदी ने खुद कहा कि प्रधानमंत्री बनने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे लेकिन आज इन लोगों ने दिल्ली वालों की पीठ में छुरा घोंप दिया। आगे से पीएम मोदी की किसी बात पे विश्वास मत करना।”
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा, ”दिल्ली में ऐसी छेड़खानी होती रहेगी तो आप अन्य राज्यों के लिए भी ऐसे बिल लाते रहेंगे । आपको लगता है कि यहां घोटाला होता है तो उसके लिए आपको यह बिल लाना जरूरी था? आपके पास ईडी, सीबीआई, आईटी है । आप उसका इस्तेमाल क्यों नहीं करते? ।”