Manipur Violence : मणिपुर के तेंगनौपाल में उग्रवादियों के दो समूहों के बीच गोलीबारी, 13 लोगों की मौत
मणिपुर से एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। यहां तेंगनौपाल जिले में हुए हिंसा के दौरान 13 लोगों की मौत हो गई। घटना सोमवार के दोपहर की बताई जा रही है। म्यांमार जा रहे उग्रवादियों पर इलाके में प्रभावी विद्रोहियों के एक अन्य समूह ने घात लगाकर हमला किया। मौके पर पहुंचे सुरक्षाबलों को 13 शव मिले हैं, उनकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। ऐसा प्रतीत होता है कि वे स्थानीय निवासी नहीं थे. तेंगनौपाल जिला म्यांमार के साथ सीमा साझा करता है ।
सुरक्षाबल के एक अधिकारी के अनुसार, सुरक्षाबल को टेंग्नौपाल जिले के साइबोल के पास लीथू गांव में आतंकवादियों के दो समूहों के बीच गोलीबारी होने की खबर मिली थी। जैसे ही सुरक्षाबल लीथू गांव में पहुंची तभी उन्हें घटनास्थल से 13 लोगों के शव मिले। हांलाकि शवों के पास से कोई हथियार नहीं मिला। मृत लोगों की पहचान की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। सुरक्षाबल के अधिकारी ने बताया कि मृतक लीथु क्षेत्र के नहीं लगते हो सकता है कि वे किसी दूसरी जगह से आए हों जिसके बाद वे एक अलग समूह के साथ गोलीबारी में शामिल हो गए और उनकी जान चली गई। हांलाकि घटनास्थल पर पुलिस बल भी मौजूद है।
बता दें कि इसी साल मई महीने में राज्य में हिंसा की चिंगारी सुलगी थी। इसी के बाद हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा और करीब 175 लोगों की जान चली गई. ज्यादातर इलाके में अब भी इंटरनेट बंद हैं। हिंसा के दौरान दो महिला के साथ शर्मनाक हरकत का वीडियो सामने आने के बाद पीएम मोदी ने इसकी निंदा की और न्याय का भरोसा दिलाया।
पहले हुई हिंसा में सैकड़ों लोगों की गई थी जान :
बता दें कि मणिपुर में 3 मई से ही मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पों से हिंसा भड़का हुआ है। इन झड़पों में कम से कम 182 लोग मारे गए और लगभग 50000 बेघर हो गए। रविवार को ही अधिकारियों ने सात महीने के बाद हिंसा प्रभावित राज्य में कुछ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों को छोड़कर मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध हटा दिया था। पिछले सात महीनों में अधिकांश हिंसा, गोलीबारी, आगजनी और अपहरण हुए हैं। केंद्र और मणिपुर सरकार द्वारा राज्य के सबसे पुराने उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फोर्स (यूएनएलएफ) के साथ नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के चार दिन बाद निलंबन हटाया गया था।
हिंसा की पिछली घटनाएं :
पिछले महीने, कांगपोकपी जिले के हरओथेल और कोब्शा गांवों के बीच इसी तरह की गोलीबारी में दो लोग मारे गए थे। इसी तरह, सितंबर में, राज्य की अस्थिर बिष्णुपुर-चुराचांदपुर सीमा पर एक लोकप्रिय आदिवासी गीतकार-संगीतकार सहित छह लोगों की मौत हो गई, जबकि 14 अन्य घायल हो गए। जहां घाटी और पहाड़ी जिलों के बीच विभाजन के कारण हिंसा में वृद्धि हुई है। 42 वर्षीय एलएस मंगबोई लुंगडिम, जिन्हें आदिवासी गीत “आई गम हिलौ हैम (क्या यह हमारी भूमि नहीं है?)” लिखने का श्रेय दिया जाता है, मैतेई और कुकी समूहों के बीच गोलीबारी में मारे गए थे।