Masik Durga Ashtami 2023 : आज मासिक दुर्गाष्टमी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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  • इस दिन ऐसे करेंगे पूजा तो होगी माता की कृपा

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार अष्टमी पड़ती है। मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के दिन विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों पर माता की कृपा बनी रहती है और माता भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । 

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की उपासना की जाती है। जिस प्रकार चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता भगवान गणेश को माना जाता है, उसी प्रकार प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को देवी दुर्गा की उपासना की जाती है। लिहाजा 24 अगस्त को देवी दुर्गा की उपासना का दिन है। कहा जाता है कि इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां भवानी यानी मां दुर्गा की पूजा की जाती है । साथ ही मां दुर्गा के निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है । इस दिन भक्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूजा स्थल और घर की साफ-सफाई करनी चाहिए । इसके उपरांत विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं । जानिए मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री की लिस्ट, पूजा विधि, मंत्र, महत्व और व्रत कथा …

शुभ मुहूर्त :

  • मासिक दुर्गाष्टमी तिथि प्रारम्भ – 24 अगस्त सुबह 03 बजकर 31 मिनट पर
  • मासिक दुर्गाष्टमी का समापन – 25 अगस्त सुबह 03 बजकर 10 मिनट पर

पूजा सामग्री की लिस्ट :

  • लाल चुनरी, लाल कपड़ा, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप, नारियल, चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर फल-मिठाई, कलावा

पूजा विधि :

  • मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े धारण कर लें।
  • इसके बाद पूजा घर को गंगाजल छिड़क उसकी शुद्धि कर लें।
  • उसके बाद एक चौकी में लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। 
  • अब देवी मां को जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद मां दुर्गा को लाल चुनरी और सोलह श्रृंगार चढ़ाएं फिर लाल रंग का पुष्प,पुष्पमाला और अक्षत अर्पित करने के बाद मां दुर्गा को सिंदूर से टीका लगा दें। 
  •  मां दुर्गा को एक पान के पत्ते में लौंग, सुपारी, इलायची, बताशा रख कर चढ़ा दें।
  • भोग के रूप में कोई मिठाई चढ़ाएं और फिर जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जलाकर मां दुर्गा चालीसा का पाठ करके विधि-विधान के साथ मां की आरती करें
  • अंत में आपके द्वारा की गई गलतियों के लिए क्षमा मांग लें। 

 मंत्र :

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

महत्व :

इस दिन देवी दुर्गा की उपासना करने से जातक के पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी। साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही समस्यों का समाधान मिलता है।

व्रत कथा :

चिरकाल में असुरों के आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। असुरों ने स्वर्ग पर अपना अधिपत्य जमा लिया। असुर सेना का नेतृत्व महिषासुर कर रहा था। तत्कालीन समय में महिषासुर ने कठिन तप कर त्रिदेव से अतुल बल प्राप्त कर लिया था। साथ ही महिषासुर को देवता से परास्त न होने का वरदान भी प्राप्त था। इसके लिए तीनों लोकों में त्राहिमाम मचा हुआ था। असुर अपने विरोधी को चीटियों की तरह मसल रहे थे। यह देख त्रिदेव भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठे।

उस समय त्रिदेव के तेज से शक्ति स्वरूप जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा प्रकट हुईं। मां दुर्गा के मुखमंडल पर कांति आभा झलक रही थी। इस आभा से समस्त ब्रह्मांड प्रकाशवान हो उठा। सभी देवी-देवता मां की महिमामंडन करने लगे। त्रिदेव ने आदिशक्ति का अभिवादन किया। इसके बाद त्रिदेव ने मां दुर्गा को अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। कालांतर में मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया। इस युद्ध में जगत जननी रन चंडी रूप धारण की थीं। मां दुर्गा के सन्मुख महिषासुर टिक नहीं पाया। अंततः महिषासुर ने मन ही मन हार स्वीकार कर लिया। उस समय महिषासुर का वध कर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा ने धर्म की स्थापना की। इस तिथि से दुर्गाष्टमी मनाई जाती है।

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