Mission Chandrayan-3 : इतिहास रचने से एक कदम दूर चंद्रयान-3, चांद की सतह से सिर्फ 25 किमी ऊपर लगा रहा चक्कर
- दूसरी डीबूस्टिंग के साथ लैंडर विक्रम की लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम में दूसरी बार डीबूस्टिंग की गई। इस डीबूस्टिंग के बाद अब लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती के और करीब पहुंच गया है। दूसरी डीबूस्टिंग के साथ ही चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग का काउंटडाउन भी शुरू हो चुका है। दूसरे और आखिरी डिबूस्टिंग ऑपरेशन ने चंद्रयान को चांद की सतह के बेहद करीब ला दिया है । अब विक्रम लैंडर की दूरी चांद से सिर्फ 25 किमी है …
ISRO का चंद्रयान-3 मिशन इतिहास लिखने से अब महज एक कदम की दूरी पर है। शनिवार रात 2 बजे चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम में दूसरी बार डीबूस्टिंग की गई। इस डीबूस्टिंग के बाद अब लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह के करीब पहुंच गया है। वर्तमान में, लैंडर विक्रम निकटतम से 25 किमी और सबसे दूर से 134 किमी की दूरी पर चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। डीबूस्टिंग के दौरान लैंडर विक्रम के सभी चार इंजनों का उपयोग किया गया है। पहले डीबूस्टिंग में दो इंजनों का उपयोग किया गया था। बाकी दो इंजनों का इस्तेमाल शनिवार रात को हुई डीबूस्टिंग में किया गया। इससे साफ है कि लैंडर विक्रम पूरी तरह से ठीक है ।
चंद्रयान-3 चंद्रमा के बेहद करीब पहुंच गया है. विक्रम लैंडर देर रात यानी रविवार (20 अगस्त) सुबह 2 से 3 बजे के बीच चंद्रमा के करीब पहुंचा। अब विक्रम चांद से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है. पहले यह 113 किमी x 157 किमी की कक्षा में था। दूसरे डीबूस्टिंग ऑपरेशन (मंदी प्रक्रिया) ने कक्षा को घटाकर 25 किमी x 134 किमी कर दिया, यानी चंद्रमा की सतह से विक्रम लैंडर की दूरी अब केवल 25 किमी है। अब बस 23 तारीख को सफल लैंडिंग का इंतजार कर रही है। लैंडिंग से पहले मॉड्यूल का आंतरिक निरीक्षण किया जाएगा ।
चंद्रयान-3 मिशन में अब केवल डोरबिट बर्न और लैंडिंग बाकी है। लैंडर अभी जिस कक्षा में है उसे इसरो इंटरमीडिएट ट्रांसफर ऑर्बिट कहता है। यहीं पर लैंडर अपनी लैंडिंग साइट पर सूर्योदय का इंतजार करेगा और इसी कक्षा से लैंडर विक्रम 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे चंद्रमा पर उतरेगा। लैंडर की पहली डीबूस्टिंग 18 अगस्त को की गई थी। उस समय चंद्रमा से लैंडर की न्यूनतम दूरी 113 किमी और अधिकतम दूरी 157 किमी थी। जबकि दूसरी डीबूस्टिंग 20 अगस्त की आधी रात के बाद हुई और अब लैंडर की चंद्रमा से सबसे कम दूरी 25 किलोमीटर और अधितम दूरी 134 किलोमीटर है।
डिबूस्टिंग प्रक्रिया को लैंडर पर लगे थ्रस्टर्स द्वारा पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में यान की यात्रा की दिशा के विपरीत दिशा में थ्रस्टर्स चलाकर गति कम कर दी जाती है। चंद्रयान के लैंडर के चारों पैरों में से प्रत्येक में 800 न्यूटन शक्ति के थ्रस्टर हैं। इनकी मदद से लैंडर मॉड्यूल की गति कम करके निचली कक्षा में लाया जाएगा। अब अगले तीन दिनों तक लैंडर विक्रम उस जगह की तलाश करेगा जहां उसे उतरना है । इस बार लैंडर विक्रम ऐसे उपकरणों से लैस है कि वह अपनी लैंडिंग की जगह खुद तय करेगा।
दूसरी डीबूस्टिंग के साथ ही चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है. अब वह लैंडर की गति धीमी कर उसे लैंड कराकर अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। लैंडर विक्रम 25 किलोमीटर की ऊंचाई से लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू करेगा । इसके लिए लैंडर की स्पीड 1680 मीटर प्रति सेकेंड से बढ़ाकर 2 मीटर प्रति सेकेंड करनी होगी। यह चंद्रमा की ओर 90 डिग्री के कोण पर परिक्रमा शुरू करेगा। इसे थ्रस्टर्स की मदद से सुरक्षित रूप से सतह पर उतारा जाएगा।
लैंडर विक्रम इस समय चांद के ऐसे ऑर्बिट में है, जहां चंद्रमा का निकटतम बिंदु 25 किमी और सबसे दूर 134 किमी है । इसी कक्षा से यह बुधवार (23 अगस्त) को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा । अभी तक दक्षिणी ध्रुव पर कोई मिशन नहीं पहुंचा है । यही वजह है कि इसरो ने चंद्रयान को यहां पर भेजा है । लैंडर विक्रम स्वचालित मोड में चंद्रमा की कक्षा में उतर रहा है । दरअसर यह स्वयं फैसला ले रहा है कि इसे आगे की प्रक्रिया को किस तरह से करना है । चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भारत इस सफलता को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा । अभी तक अमेरिका, सोवियत संघ (वर्तमान रूस) और चीन ही ऐसा कर सके हैं ।
चंद्रयान-3 मिशन को लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा, “लैंडिंग के लिए तैयार रहें! चंद्रयान 3 के अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन के सफलतापूर्वक लैंडर मॉड्यूल की कक्षा को 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है। चंद्रमा के पास पहुंचते ही उलटी गिनती शुरू हो जाएगी है।”
बता दें कि, चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चंद्रयान-3 के लैंडर की रफ्तार का कम होना सबसे जरूरी है । लैंडिंग मिशन में यही सबसे बड़ी चुनौती है । इसके पहले 18 अगस्त को डीबूस्टिंग की पहली प्रक्रिया की गई थी । रविवार को हुई दूसरी और आखिरी डीबूस्टिंग के बारे में इसरो ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा और इसने ऑर्बिट को 25 किमी x 134 किमी कर दिया है। सॉफ्ट लैंडिंग के लिए पॉवर्ड डिसेंट 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार शाम लगभग 5.45 बजे शुरू होने की उम्मीद है ।