Onion Price : टमाटर के बाद अब प्याज निकालेगा आंसू! इतने रुपये तक हो सकती हैं कीमतें 

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टमाटर के बाद अब प्‍याज की कीमत में बढ़ोतरी होने की उम्‍मीद है । रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों में दोगुनी से ज्‍यादा बढ़ोतरी संभव है । खुदरा बाजार में सितंबर की शुरुआत से कीमतों में अच्छी-खासी वृद्धि होने की आशंका है और यह 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है ….

देशभर में टमाटर की कीमतें आसमान पर हैं । कहीं टमाटर 120 रुपये किलो बिक रहा है तो कहीं ये 200 रुपये के पार जा चुका है । अभी तक हम टमाटर की महंगाई पर हायतौबा कर रहे हैं। वहीं अब प्‍याज की कीमत में भी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है । रिपोर्ट में कहा गया है कि प्‍याज की कीमत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो सकती है । मई जून में 10 से 20 रुपये में मिल रहा प्याज सितंबर में अपने रंग में आ सकता है। मौजूदा समय में प्‍याज की कीमत 25 रुपये से लेकर 35 रुपये तक हैं ।लेकिन  सितंबर में प्याज की कीमतें 60 से 70 रुपये के पार निकलने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार अगले महीने मंडियों में प्याज की आवक घट सकती है, जिसके चलते मौजूदा कीमतों में दो गुने से लेकर ढाई गुने तक कीमतों में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। हालांकि अक्टूबर में नई फसल की आवक से कीमतें धड़ाम हो सकती हैं। 

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कीमतों में इतनी बढ़ोतरी के बाद भी ये बढ़ी हुई कीमतें 2020 के शिखर से नीचे रहने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी प्याज की शेल्फ लाइफ 1-2 महीने कम हो गई है और इस साल फरवरी-मार्च में बिक्री के कारण सितंबर के बजाय अगस्त के अंत तक खुले बाजार में रबी का स्टॉक काफी कम होने की उम्मीद है। जिससे प्याज का स्टॉक बढ़ेगा 15-20 दिन मंदी का मौसम, जिसके कारण बाजार में आपूर्ति की कमी और ऊंची कीमतों का सामना करने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी प्याज के भंडारण और उपयोग की अवधि एक-दो महीने कम होने और इस साल फरवरी-मार्च में घबराहट के कारण बिकवाली से, खुले बाजार में रबी स्टॉक में सितंबर के बजाय अगस्त के अंत तक काफी गिरावट आने की आशंका है। इससे प्याज की खपत में बढ़ोतरी होगी।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि त्योहारी महीनों (अक्टूबर-दिसंबर) में कीमतों में उतार-चढ़ाव दूर होने की उम्मीद है। 

गौरतलब है कि, इस साल जनवरी-मई के दौरान प्याज की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली। हालांकि, इससे प्याज किसान खरीफ मौसम में बुवाई के लिये हतोत्साहित हुए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसको देखते हुए, हमारा मानना है कि इस साल रकबा आठ प्रतिशत घटेगा और प्याज का खरीफ उत्पादन सालाना आधार पर पांच प्रतिशत कम होगा। वार्षिक उत्पादन 2.9 करोड़ टन होने की उम्मीद है। यह पिछले पांच साल (2018-22) के औसत उत्पादन से सात प्रतिशत अधिक है।’’ इसलिए, कम खरीफ और रबी उत्पादन के बावजूद इस वर्ष आपूर्ति में बड़ी कमी की संभावना नहीं है। हालांकि, अगस्त और सितंबर में बारिश प्याज की फसल और उसके विकास को निर्धारित करेगी।

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