Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023 : विभुवन संकष्टी चतुर्थी कब? जानें डेट, पूजा मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य समय

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हिंदू पंचाग के अनुसार श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विभुवन संकष्टि चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। हिंदू धर्म में संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के उपलक्ष्य में भगवान श्री गणेश की उपासना बड़ी ही फलदाई मानी गई है। विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर 3 साल में एक बार आता है क्योंकि यह चतुर्थी व्रत अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है । इस व्रत में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं, जिसके बाद ही व्रत पूर्ण होता है । आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्र अर्घ्य समय, पूजा विधि और महत्व।

  • 3 साल में एक बार आता यह व्रत
  • इस विधि से करें गणेश जी की पूजा, मिलेगा लाभ
  • जानें संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

अधिकमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्ती को विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है । ये व्रत 3 साल में एक बार रखा जाता है। वैसे तो प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा का विधान है। बस फर्क केवल इतना है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि अधिक मास में पड़ने वाली चतुर्थी को विभुवन संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

अधिकमास का कृष्ण पक्ष 2 अगस्त 2023 से शुरू हुआ है । सावन में अधिकमास की विभुवन संकष्टी चतुर्थी 4 अगस्त 2023, शुक्रवार को मनाई जाएगी. ये दिन गणपति जी को समर्पित है । संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रहता है । इसमें चंद्रमा की पूजा विशेष महत्व रखती है । चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है । इस साल की विभुवन संकष्टी चतुर्थी पंचक में है । व्रत के दिन पूरे समय पंचक है, वहीं भद्रा सुबह से लेकर दोपहर तक है । उस दिन भद्रा सुबह 05 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है । आइए जानते हैं विभुवन संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व। 

विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 की तिथि :

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 अगस्त दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर शुरू हो जाएगी ।  इस तिथि का समापन 05 अगस्त दिन शनिवार को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर होगा । ऐसे में चतुर्थी के चंद्रोदय समय के आधार पर विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत 4 अगस्त को होगा ।  विभुवन संकष्टी चतुर्थी को अधिक मास की संकष्टी चतुर्थी या मलमास की संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं । 

पूजा मुहूर्त :

  • गणपति पूजा सुबह का मुहूर्त – सुबह 07.25 – सुबह 09.05
  • शाम का मुहूर्त – शाम 05.29 – रात 07.10

4 अगस्त को विभुवन संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 39 से लेकर सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक है । उसके बाद सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 52 मिनट तक शुभ समय है । इस में आप विभुवन संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं । विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात:काल से लेकर सुबह 06 बजकर 14 मिनट तक शोभन योग है । उसके बाद अतिगंड योग प्रारंभ होगा, जो 5 अगस्त को तड़के 02 बजकर 29 मिनट तक है ।

चंद्रोदय समय :

विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन 4 अगस्त 2023 को चंद्रोदय रात 09 बजकर 20 मिनट पर होगा । उस दिन व्रती चद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देंगी और पारण करके व्रत को पूरा करेंगी। संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति, अच्छा स्वास्थ और संतान सुख मिलता है ।

पूजा विधि :

  • इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें।
  • उसके बाद गणपति का ध्यान करें। 
  • अब एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
  • फिर गंगा जल छिड़कर पूरे स्थान को पवित्र कर लें। 
  • इसके बाद गणेश जी को फूल की मदद से जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं।
  • लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाएं। 
  • इसके बाद नारियल और भोग में मोदक चढ़ाएं। 
  • गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।  
  • सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। 

इस मंत्र का जाप करें :

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

या फिर

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें।

गणेश जी का प्रिय भोग :

मोदक गणपित जी का सबसे प्रिय भोग माना गया है इसलिए इसका अधिक मास की चतुर्थी तिथि के दिन मोदक का भोग जरूर लगाएं। इससे साधक को भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप गणेश जी को कलाकंद का भोग भी लगा सकती हैं।

इन लड्डूओं का लगाएं भोग :

गणेश जी को लड्डू अति प्रिय हैं। इसलिए आप विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू या बेसन के लड्डूओं का भोग लगा सकते हैं।

इन चीजों के भोग से मिलेगा लाभ :

मोदक के अलावा भगवान गणेश को नारियल और केले का भोग लगाना भी बेहद शुभ माना जाता है। आप घर में श्रीखंड, मेवे की खीर आदि बनाकर भी गणपति जी को अर्पित कर सकती हैं। इससे विघ्नहर्ता गणेश भगवान का आशीर्वाद आपके परिवार पर बना रहेगा।

महत्व :

अधिकमास भगवान विष्णु को समर्पित हैं और इस साल अधिकमास सावन में आया है । कहते हैं अधिकमास में गणपति की पूजा करने से घर में जल्द मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं । गणपति की कृपा से विवाह, संतान प्राप्ति और आर्थिक तरक्की में आ रही बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती है । घर में बरकत के साथ घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है ।

पौराणिक कथा के अनुसार, पांडव अज्ञातवास के समय कौरवों से छिपकर रह रहे थे । उस दौरान अपनी पत्नी द्रौपदी को कष्ट में देखकर दुखी होते थे । तब वेद व्यास जी के सुझाव पर उन्होंने विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधिपूर्वक किया । गणेश जी के आशीर्वाद से उनके सभी कष्ट दूर हो गए ।

करें ये खास उपाय :

  1. अगर आप अपने परिवार में सुख-शांति बनाए रखना चाहते हैं तो इस दिन अपने दोनों हाथों में लाल फूल लेकर गणेश भगवान को अर्पित करें। साथ ही फूल चढ़ाते समय ‘ऊँ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जप करें। ऐसा करने से आपके परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। 
  2. अगर आप अपने बच्चे की तरक्की और उसके मान-सम्मान में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो इस दिन अपने बच्चे के हाथों से मंदिर में दूध का दान करवाएं। साथ ही गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से आपके बच्चे की तरक्की सुनिश्चित होगी और उसके मान-सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी। 
  3. अगर आप अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहते हैं, तो इस दिन भगवान गणेश को रोली और चंदन का तिलक लगाएं। साथ ही गणेश जी के मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र है –
  4. ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: निर्विघ्नं कुरूमें देव सर्व कार्येषु सर्वदा’ ऐसा करने से आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होगी। 
  5. अगर आप नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति करना चाहते हैं तो इस दिन आठ मुखी रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करके गले में धारण करें। ऐसा करने से आपको नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होगी। 
  6. अगर आप छोटी-छोटी खुशियों को बटोरकर अपने जीवन में आनंद भरना चाहते हैं तो इस दिन भगवान गणेश को बूंदी के लड्डुओं का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद बचे हुए लड्डूओं को छोटी कन्याओं में बांट दें और उनका आशीर्वाद लें। ऐसा करने से जीवन में छोटी-छोटी खुशियां भी आपको आनंदित कर देगी। 
  7. अगर आप अपने बच्चों के जीवन की गति को बनाए रखना चाहते हैं तो इस दिन भगवान गणेश की पूजा के समय एक हल्दी की गांठ लें और उसे कलावे से बांधकर पूजा स्थल पर रख दें। पूजा समाप्त होने के बाद उस हल्दी की गांठ को पानी की सहायता से पीस लें और उससे बच्चे के मस्तक पर तिलक लगाएं। ऐसा करने से आपके बच्चों के जीवन की गति बनी रहेगी। 
  8. अगर आपके जीवन में किसी तरह की परेशानी चल रही है और आप चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द समाप्त हो जाए तो इस दिन गणेश भगवान की विधि-विधान से पूजा करके उनको लड्डुओं से भोग लगाएं और बाद में लड्डुओं को प्रसाद के रूप में परिवार के सब सदस्यों में बांट दें। ऐसा करने से आपके जीवन से सारी परेशानियां जल्द ही समाप्त हो जाएंगी। 
  9. अगर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना चाहते हैं तो इस दिन एक पान का पत्ता लें और उसके मध्य में रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। अब वह पान का पत्ता भगवान गणेश को अर्पित करें। साथ ही गणेश जी के मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र है – ‘ऊँ गं गणपतये नम:’ ऐसा करने से आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा।
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